दंगे तो दंगे होते हैं और दंगों की सबसे बड़ी बात यह होती है कि इसमें लोगों के साथ इंसानियत भी मरती है। आज हम आपको देश में हुए 6 ऐसे दंगों के बारे में बताएंगे, जिनमें बहुत भारी संख्या में जानमाल का नुकसान हुआ और देश विचलित हो उठा।
1984 सिक्ख दंगा
भारत में जब भी दंगों की चर्चा उठेगी तो इसमें सबसे पहला नाम 1984 में हुए सिक्ख दंगों का आएगा। बता दें कि यह वह दंगा था जिसे देश सदियों तक याद रखेगा।
इस दंगे की शुरुआत तब हुई जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई। इंदिरा गांधी के दोनों अंगरक्षक सिक्ख समुदाय से संबंध रखते थे और यही दंगे का मुख्य कारण बना। इंदिरा गांधी के मौत के बाद ऐसी लहर उठी कि दिल्ली में सिक्खों को दुश्मन समझ बैठे लोग और जहां भी सिक्ख मिले उन्हें देखकर मारकाट और कत्लेआम मच गया।
1984 का दंगा कई शहरों में फैला लेकिन सबसे बड़ा कत्लेआम दिल्ली में मचा और अकेले दो हजार से ज्यादा लोग दिल्ली में ही मारे गए। सिक्ख दंगों के दौरान मारे गए लोगों की कुल संख्या 5000 के आसपास बताई जाती है।
1989 भागलपुर दंगा
भारत के इतिहास के सबसे क्रूरतम दंगों की अगर बात की जाए तो भागलपुर दंगा सबसे ऊपर आएगा। यह वह दंगा था जो बाबरी मस्जिद और राम मंदिर के नाम पर हिंदू मुसलमानों को आपस में एक दूसरे का खून का प्यासा बना दिया था। बता दें कि यह भागलपुर दंगा करीब 2 महीने तक लगातार चलता रहा और इस दंगे की गिरफ्त में भागलपुर बिहार के ढाई सौ से ज्यादा गांव थे।
वहीं सरकार की तरफ से दावा किया गया कि इस पूरे दंगे में एक हजार के आसपास लोग मरे हैं जबकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि यह तो सिर्फ सरकारी दस्तावेज है हकीकत में दो हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।
1992 मुंबई दंगा
मुजफ्फरपुर दंगे के मात्र 3 साल बाद बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर मुंबई में एक बेहद खूनी दंगा भड़का। इस दंगे में सरकारी आंकड़े के अनुसार 900 लोग मारे गए लेकिन सरकारी आंकड़ों के विपरीत अगर वास्तविकता पर नजर डालें तो निसंदेह इस दंगे में मरने वालों की संख्या ज्यादा रही होगी।
इस दंगे की आंच लगभग 1 साल तक बरकरार रही और इसी दंगे के दौरान 1993 में मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाके भी किए गए, जिसमें सैकड़ों बेगुनाहों ने अपनी जान गंवा दिए।
2000 गुजरात दंगे
इतिहास के सबसे विभत्स दंगों में शामिल गुजरात का गोधरा कांड जिसमें गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती ट्रेन के एक कोच को भीड़ द्वारा जला दिया गया। इसमें 59 कारसेवक जो अयोध्या से लौटे थे, उनकी मौत हो गई। कहा जाता है कि निशाना बनाकर S-6 कोच को जलाया गया था और जलाने से पहले उसके सभी दरवाजे और खिड़कियों को अच्छे से सील कर दिया गया था ताकि कोई भी बाहर ना निकल पाए।
इस कांड के बाद पूरे अहमदाबाद में भीड़ बेकाबू हो गई और लोगों के सर पर खून सवार हो गया। वहीं बेकाबू भीड़ ने मुस्लिम बहुल इलाके गुलबर्ग सोसायटी और नरोदा गांव में हिंसा को अंजाम दे दिया जिसमें 790 मुसलमान और 254 हिंदुओं की मौत सरकारी आंकड़ों में दर्ज किए गए, जबकि हकीकत इससे परे रही होगी।
2013 मुजफ्फरनगर दंगा
2013 में मुजफ्फरपुर दंगा ने एक बार फिर लोगों को एक दूसरे के खून का प्यासा बना दिया। इस दंगे के बारे में कहा जाता है कि जाट और मुसलमान आपस में छोटी सी बात को लेकर भिड़े और धीरे-धीरे यह दंगे का रूप ले लिया जिसमें 62 लोग मारे गए और सैकड़ों लोगों को घर से बेघर होना पड़ा।
2020 दिल्ली दंगा
2020 में दिल्ली देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर दंगा भड़का, जिससे लोग 1984 के दंगे से याद करने को मजबूर हो गए। बता दे कि इस दंगे में भी हिंदू मुसलमान एक दूसरे के सामने थे और इस बार भी 45 के आसपास लोग मारे गए और वहीं इस हिंसा में तीन सौ के आसपास लोग बुरी तरीके से घायल हो गए।
लाखों-करोड़ों की संपत्ति का नुकसान दिल्ली की जनता को उठाना पड़ा। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली में जहां एक तरफ लगातार दो महीने से ज्यादा समय से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं वहीं यह प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि दिल्ली के कुछ इलाकों में हिंसा भड़क गई।
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1984 सिक्ख दंगा
भारत में जब भी दंगों की चर्चा उठेगी तो इसमें सबसे पहला नाम 1984 में हुए सिक्ख दंगों का आएगा। बता दें कि यह वह दंगा था जिसे देश सदियों तक याद रखेगा।
इस दंगे की शुरुआत तब हुई जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई। इंदिरा गांधी के दोनों अंगरक्षक सिक्ख समुदाय से संबंध रखते थे और यही दंगे का मुख्य कारण बना। इंदिरा गांधी के मौत के बाद ऐसी लहर उठी कि दिल्ली में सिक्खों को दुश्मन समझ बैठे लोग और जहां भी सिक्ख मिले उन्हें देखकर मारकाट और कत्लेआम मच गया।
1984 का दंगा कई शहरों में फैला लेकिन सबसे बड़ा कत्लेआम दिल्ली में मचा और अकेले दो हजार से ज्यादा लोग दिल्ली में ही मारे गए। सिक्ख दंगों के दौरान मारे गए लोगों की कुल संख्या 5000 के आसपास बताई जाती है।
1989 भागलपुर दंगा
भारत के इतिहास के सबसे क्रूरतम दंगों की अगर बात की जाए तो भागलपुर दंगा सबसे ऊपर आएगा। यह वह दंगा था जो बाबरी मस्जिद और राम मंदिर के नाम पर हिंदू मुसलमानों को आपस में एक दूसरे का खून का प्यासा बना दिया था। बता दें कि यह भागलपुर दंगा करीब 2 महीने तक लगातार चलता रहा और इस दंगे की गिरफ्त में भागलपुर बिहार के ढाई सौ से ज्यादा गांव थे।
वहीं सरकार की तरफ से दावा किया गया कि इस पूरे दंगे में एक हजार के आसपास लोग मरे हैं जबकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि यह तो सिर्फ सरकारी दस्तावेज है हकीकत में दो हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।
1992 मुंबई दंगा
मुजफ्फरपुर दंगे के मात्र 3 साल बाद बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर मुंबई में एक बेहद खूनी दंगा भड़का। इस दंगे में सरकारी आंकड़े के अनुसार 900 लोग मारे गए लेकिन सरकारी आंकड़ों के विपरीत अगर वास्तविकता पर नजर डालें तो निसंदेह इस दंगे में मरने वालों की संख्या ज्यादा रही होगी।
इस दंगे की आंच लगभग 1 साल तक बरकरार रही और इसी दंगे के दौरान 1993 में मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाके भी किए गए, जिसमें सैकड़ों बेगुनाहों ने अपनी जान गंवा दिए।
Communal Riots In India (Pic: dnaindia) |
2000 गुजरात दंगे
इतिहास के सबसे विभत्स दंगों में शामिल गुजरात का गोधरा कांड जिसमें गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती ट्रेन के एक कोच को भीड़ द्वारा जला दिया गया। इसमें 59 कारसेवक जो अयोध्या से लौटे थे, उनकी मौत हो गई। कहा जाता है कि निशाना बनाकर S-6 कोच को जलाया गया था और जलाने से पहले उसके सभी दरवाजे और खिड़कियों को अच्छे से सील कर दिया गया था ताकि कोई भी बाहर ना निकल पाए।
इस कांड के बाद पूरे अहमदाबाद में भीड़ बेकाबू हो गई और लोगों के सर पर खून सवार हो गया। वहीं बेकाबू भीड़ ने मुस्लिम बहुल इलाके गुलबर्ग सोसायटी और नरोदा गांव में हिंसा को अंजाम दे दिया जिसमें 790 मुसलमान और 254 हिंदुओं की मौत सरकारी आंकड़ों में दर्ज किए गए, जबकि हकीकत इससे परे रही होगी।
Communal Riots In India (Pic: scmp) |
2013 मुजफ्फरनगर दंगा
2013 में मुजफ्फरपुर दंगा ने एक बार फिर लोगों को एक दूसरे के खून का प्यासा बना दिया। इस दंगे के बारे में कहा जाता है कि जाट और मुसलमान आपस में छोटी सी बात को लेकर भिड़े और धीरे-धीरे यह दंगे का रूप ले लिया जिसमें 62 लोग मारे गए और सैकड़ों लोगों को घर से बेघर होना पड़ा।
2020 दिल्ली दंगा
2020 में दिल्ली देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर दंगा भड़का, जिससे लोग 1984 के दंगे से याद करने को मजबूर हो गए। बता दे कि इस दंगे में भी हिंदू मुसलमान एक दूसरे के सामने थे और इस बार भी 45 के आसपास लोग मारे गए और वहीं इस हिंसा में तीन सौ के आसपास लोग बुरी तरीके से घायल हो गए।
लाखों-करोड़ों की संपत्ति का नुकसान दिल्ली की जनता को उठाना पड़ा। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली में जहां एक तरफ लगातार दो महीने से ज्यादा समय से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं वहीं यह प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि दिल्ली के कुछ इलाकों में हिंसा भड़क गई।
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