गुणों की खान है 'मिश्री'

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गुणों की खान है 'मिश्री'


Difference Between Mishri & Table Sugar? (Pic: nmamilife)


आजकल हेल्थ प्रॉब्लम्स और हेल्थ अवेयरनेस को लेकर जब भी कोई बात होती है तो उसमें 'मीठे' का नाम सबसे पहले आता है। ऐसे में तमाम हेल्थ अडवाइजर आपको मीठे के नाम पर चीनी खाने से मना करते हैं। लेकिन समस्या यह है कि अगर हम चीनी नहीं खाएं तो क्या खाएं? इसका आसान रास्ता हम आपको बताने जा रहे हैं।  आजकल मिश्री का चलन बहुत ही ज्यादा बढ़ गया है, उसका उपयोग बहुत ज्यादा बढ़ गया है। तो आज हम जानेंगे कि मिश्री को चीनी की जगह कैसे इस्तेमाल करें और इसके बारे में सब कुछ। 

कैसे बनती है 'मिश्री' 

मिश्री चीनी का ही दूसरा रूप है जिसको 'रॉक शुगर' के नाम से भी जाना जाता है। मिश्री बनाने के लिए भी गन्ने का ही उपयोग किया जाता है। मशीनों के द्वारा निकाले गए गन्ने के रस में विभिन्न अशुद्धियां होती हैं जिन्हें अलग-अलग स्टेप में शुद्ध किया जाता है और इसे पकाकर गाढ़ा घोल तैयार किया जाता है। इस गाढ़े घोल में धागा लटका दिया जाता है। इसमें मिश्री के क्रिस्टल अपने आप प्राकृतिक रूप से प्राकृतिक क्रियाओं से बनने लगते हैं। इस तरह से बगैर किसी केमिकल के ,बगैर किसी एंजाइम के यूज किए बिना शुद्ध रूप में हमें प्राप्त होती है 'मिश्री'। 

चीनी और मिश्री तैयार करने की विधि के कारण ही इनके गुणवत्ता में बहुत अंतर होता है। चीनी रासायनिक उपयोग और बार-बार फिल्टर होने के कारण गर्म तासीर की होती है। वहीं मिश्री की तासीर ठंडी और सुपाच्य होती है। 

मिश्री के अन्य प्रकार 

ताल मिश्री

मिश्री की एक और वैरायटी है जिसे हम ताल मिश्री या ताड़ मिश्री, इंग्लिश में इसे पाम शुगर (palm sugar)कहते हैं। यह ताड़ या खजूर के रस से बनाई जाती है और इसको बनाने की एक विशेष प्रक्रिया होती है जिसमें किसी भी प्रकार के केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता है। इसका रंग भूरा होता है। ताल मिश्री का औषधीय महत्व बहुत अधिक है। भारत में इसे भगवान को भोग लगाने व प्रसाद के रूप में बांटने में भी प्रयोग किया जाता है। मिश्री को सात्विक खाद्य की श्रेणी में रखा जाता है। किसी भी मीठी बात या सौम्य व्यक्ति को मिश्री की डली का विशेषण दिया जाता है। मीठी वाणी या स्वर बोलने को `कानों में मिश्री घोलना "कहा जाता है। 

Difference Between Mishri & Table Sugar? (Pic: youtube)


सालम मिश्री

यह भी एक प्रकार की मिश्री है जिसे सालम पंजा या सालम मिश्री के नाम से भी जाना जाता है। यह विशेषतः पश्चिमी हिमालय और तिब्बत में 8 से 12000 फीट की ऊंचाई पर पैदा होता है। भारत में इसकी आवक ज्यादातर ईरान और अफगानिस्तान से होती है। इसका कंद उपयोग में लिया जाता है और इसके चूर्ण को पानी में भिगोने पर पर्याप्त लुआब(चिपचिपा अंश) बनता है। सालम मिश्री ताकत बढ़ाने वाला और तृप्ति दायक होता है। यह रस में मीठा व वीर्य की वृद्धि  करने वाला होता है। इसकी तासीर शीतल होती है। यह एसिडिटी, पेट के अल्सर व पेट से संबंधित अन्य रोगों में लाभदायक है। सालम मिश्री को मुख्य रूप से धातु वर्धक और पुष्टिकारक औषधि की तरह प्रयोग किया जाता है, लेकिन इसके अधिक सेवन से वजन भी बढ़ता है।    

कैसे फायदेमंद है मिश्री हमारे लिए? 

मिश्री पाचन में सहायक होती है। यह वजन को नियंत्रित करने में भी काफी उपयोगी होती है। इतना ही  नहीं एनीमिया में लाभदायक होने के साथ ही एनर्जी के लिए मिश्री का उपयोग किया जाता है। सर्दी और जुकाम में भी इससे लाभ मिलता है। मिश्री मस्तिष्क को शांत करने के लिए बहुत फायदेमंद है। बच्चों के लिए विशेष लाभदायक है। हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने, आंखों की रोशनी के लिए, मुंह में छाले हो जाते हैं उस से आराम मिलता है मिश्री का उपयोग करने से। 

मिश्री खाने के तरीके 

आप मिश्री को सौंफ के साथ माउथ फ्रेशनर की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इतना ही नहीं आप गर्म दूध में चीनी की जगह मिला कर ले सकते हैं। आप किसी भी खाद्य पदार्थ में मिठास के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं। खाने के बाद इसे खाना लाभदायक माना जाता है। 1 दिन में 5 से 10 ग्राम तक मिश्री खाई जा सकती हैं। 

मिश्री का अधिक सेवन है नुकसानदायक! 

इतना अधिक गुणकारी होने के बावजूद मिश्री के कुछ नुकसान भी हैं। जी हाँ इसके अधिक सेवन से आपको गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या हो सकती है। चुकी मिश्री की तासीर ठंडी होती है इसलिए इसका अधिक सेवन करने पर आपके ऊपर इसका विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। 

यह भी ध्यान रखें कि मिश्री एक तरह का शुगर ही है, इसलिए इसको अधिक खाने से आपका वजन भी बढ़ सकता है। 

अगर आप मिश्री के चमत्कारिक गुणों से प्रभावित हैं और इसका नियमित इस्तेमाल करना चाहते हैं तो लेख में दी गई जानकारी आपके बहुत काम आएगी, फिर भी किसी चीज का अधिक सेवन ना करें क्योंकि अति हमेशा बुरी होती है। 

- पूनम सिंह, भिलाई 


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