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Surha Tal Visit |
उत्तर प्रदेश का बलिया जिला किसी परिचय का मोहताज नहीं है। क्रांतिकारियों की धरती कहे जाने वाले बलिया जिला का नाम पौराणिक समय से है। यहाँ के संत दरदर मुनि और भृगु मुनि का नाम बड़े तपस्वियों में लिया जाता है।
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यहाँ लगने वाल 'दादरी मेला' विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मेला है।
हालाँकि बलिया को राजनीतिक रूप से पहचान दिलाने के पीछे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का नाम लिया जाता है। बलिया स्थित सुरहा ताल को पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता है। सुरहा ताल की खाशियत यह है कि यहाँ हर साल भारी मात्रा में सैलानी पक्षियों का जमावड़ा लगता है।
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शीत ऋतु के दस्तक देते ही सुरहा क्षेत्र में लालसर और साइबेरियन पक्षियों का आगमन प्रारंभ हो जाता है। इसके आलावा पखार, पिहुला, कर्मा, मलकी, पटियारी, कसई, सारस, वोदरटीका, अंजना, जाघिल, गिरना, आदि प्रवासी पक्षियों की जल क्रीड़ा देखने के लिए लोग ताल के किनारे पहुंचते है।
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सुरहा ताल का क्षेत्रफल
अगर सुरहा ताल के क्षेत्रफल की बात करें तो यह गंगा और सरयू के दोआब में स्थित एक झील है। इसका क्षेत्रफल 34 वर्ग किलोमीटर है।
सुरहा ताल बना 'लोक नायक पक्षी बिहार'
जमाने से सुरहा ताल के नाम से प्रसिद्ध इस ताल का नाम अब बदल कर 'लोक नायक पक्षी बिहार' कर दिया गया है। वहीं इस 'लोक नायक पक्षी बिहार' की देखरेख का जिम्मा अब 'काशी वन्य जीव प्रभाग वाराणसी' को सौंप दिया गया है।
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उपेक्षा का शिकार 'सुरहा ताल'
ऐसे दृश्य देखने को आपको बहुत कम जगह मिलेंगे, किसी विशाल नदी की भांति दूर तक फैला जल क्षेत्र और उसमे मछली पकड़ते नाविक। जब बचपन में स्कूल में हमें सीनरी बनाने के लिए कहा जाता था वह दृश्य साकार हो जाएगा बलिया के इस स्थान पर। आप तो जरूर जाएं और निम्न चीजों का आनंद लें
आजकल बलिया एक्सप्लोर करने हम लोग अलग-अलग स्थानों पर निकल रहे हैं। इसी क्रम में मशहूर सुरहा ताल जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। पहले भी जा चुके हैं लेकिन अब की बार थोड़ी एक्साइटमेंट इसलिए थी क्योंकि बसंतपुर के जिस स्थान से सुरहा ताल को देखा जाता था वहां अब 'जननायक चंद्रशेखर यूनिवर्सिटी' बन चुकी है। यूनिवर्सिटी एक भारी-भरकम शब्द माना जाता है और हमें उम्मीद थी कि शादी के बाद 10 साल पहले जब मैं अपने पति के साथ गई थी तब से अब तक काफी कुछ बदल चुका होगा।
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किंतु हमें यह उम्मीद नहीं थी कि यूनिवर्सिटी बनने के बाद भी यह क्षेत्र जो बलिया -पूर्वांचल- उत्तर प्रदेश का एक बड़ा पर्यटक स्थल बनने की संभावना रखता है, वह उपेक्षा का ही शिकार रहेगा। जननायक चंद्रशेखर यूनिवर्सिटी बनने के बाद भी विकास के नाम पर सिर्फ सड़कों के चौड़ीकरण का काम चल रहा है वह भी बहुत धीमी गति से। कहीं- कहीं पत्थर गिरे हुए हैं थोड़ा बहुत उस पर कार्य हो रहा है।
ऐसे में यह विकास की संभावनाओं से दूर ही नजर आता है। वहीं जब मुख्य पर्यटक स्थान पर पहुंचे तो एक नजर में देखते ही समझ में आ गया है कि इस स्थान का कायाकल्प करने की रुचि किसी भी जन नेता ने नहीं दिखलाई है। कहने को 'जननायक श्री चंद्रशेखर' ने इस क्षेत्र का विकास करने की थोड़ी बहुत कोशिश जरूर की थी, लेकिन वह भी औपचारिक बनकर ही रह गई।
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बेहतरीन टूरिस्ट प्लेस बनने की अपार सम्भावना रखने वाला सुरहा ताल वीरान पड़ा है। हालाँकि स्थानीय लोग कभी- कभी यहाँ जरूर आते हैं अपनी जिज्ञासा शांत करने लेकिन यहाँ कुछ ऐसी व्यवस्था नहीं है कि कुछ देर यहाँ रुका जा सके।
जब भी आप इस स्थान पर जाएंगे तो विशाल जल क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में अपनी -अपनी छोटी नावों से मछली पकड़ते मछुआरों को देखकर आपके हृदय में एक अद्भुत उमंग उठेगी। जी करेगा कि घंटों तक वह दृश्य आप देखते रहें और कभी आंखों से ओझल ना हो। वहीं इस ताल के सुन्दर नज़ारे को देखने के लिए वॉच टावर भी यहाँ बना है।
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लेकिन वॉच टावर की रेलिंग में लगे छड़ों की गैप इतनी ज्यादा है कि बच्चों के साथ अगर आप उस वॉच टावर पर चढ़ते हैं तो आप डरे ही रहेंगे कि कहीं बच्चे उस रेलिंग में से निकल कर बाहर ना गिर जाएँ। कहने का मतलब यह है कि इसको बानाने में ठेकेदार जितनी लापरवाही कर सकता था उसने किया।
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यहाँ हम बताना चाहेंगे कि हमारा उद्देश्य यह बिलकुल नहीं है इतनी सुन्दर जगह की मीनमेख निकालने की, मगर दिल्ली जैसे शहर में रहने के बाद(जहाँ 100 लोगों के बैठने वाले पार्क में 200 लोग ठुसे रहते हैं) जब हम अपने क्षेत्र में आते हैं तो कलेजे में एक टिश उठती है कि अपार संभावनाओं के बाद भी यहाँ घोर लापरवाही है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि बलिया के इस सुरम्य ताल का विकास 'पिकनिक स्पॉट' के रूप में कर दिया जाये तो यहाँ के निवासियों को मनोरंजन के साथ ही आर्थिक फायदा भी मिलेगा।
बहरहाल इन सब से अलग आप जब भी बलिया आएं तो इस खूबसूरत ताल को देखने जरूर आएं।
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कैसे पहुंचे सुरहा ताल?
अगर आप स्थानीय निवासी हैं तो अपने निजी साधन से यहाँ पहुँच सकते हैं। यह स्थान बलिया -सिकंदरपुर मुख्य मार्ग से लगते हुए बसंतपुर नामक जगह पर है। बलिया शहर से इसकी कुल दूरी 10 किलोमीटर के आसपास पड़ेगी। वहीं आप अन्य शहर से यहाँ आना चाहते हैं और ट्रेन से आ रहे हैं तो बलिया स्टेशन पर आपको आना होगा। यहाँ से ऑटो या ई- रिक्सा से आप आसानी से यहाँ आ सकते हैं। अगर हवाई मार्ग की बात करें तो नजदीकी एयरपोर्ट वाराणसी है जो यहाँ से लगभग 150 किलोमीटर दूर है।
तो कैसा लगा आपको सुरहा ताल का 'वर्चुअल सफर' कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं। अगर आप इस रमणीक जगह के बारे में कुछ और जानते हैं तो वो भी जरूर बताएं।
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1 Comments
Esko read kerke laga hwm bhi taal ghoom aaye , lekin edki upeksha ko janker achcha nshi laga
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