- नवजात बच्चों के प्रबंधन में दो बातें प्रमुख होती हैं पहला बच्चों का आहार और दूसरा उनके कपड़ों का प्रबंधन
- आपका बच्चा नवजात बच्चा है, किंतु फिर भी बच्चे के लिए डायपर का इस्तेमाल बहुत ज्यादा ना करें तो बेहतर होगा
- संयुक्त परिवार के दूसरे सदस्यों से भी अपने बच्चे का इंटरेक्शन कराएं और उस पर लगातार नजर रखें
Published on 17 May 2021 (Last Update: 17 May 2021, 8:00 PM IST)
यह बड़ा सिरदर्दी वाला सब्जेक्ट है, और यह जान लीजिए कि अगर आप इस सब्जेक्ट को थोड़ा बहुत स्टडी कर लेते हैं, इस सब्जेक्ट में अगर आप विशेषज्ञता प्राप्त कर लेते हैं और इसको लगातार प्रैक्टिस करते हैं तो होम मैनेजमेंट का काम काफी आसान हो जाएगा। सामान्य रूप से जिस घर में केवल पति पत्नी और बच्चे ना हों तो उस घर का प्रबंधन आसान हो जाता है। लेकिन समस्या तब आती है जब कोई बच्चा आपके साथ हो, वह चाहे नवजात बच्चा हो या फिर स्कूल जाने वाला बच्चा हो, आपको उसके प्रबंधन के लिए बहुत सारे नियमों को अपनाना पड़ता है। आइए जानते हैं इसके बारे में
घर में नवजात बच्चा है तो!
अगर आपके घर में नवजात बच्चा है तो नवजात बच्चों का ध्यान रखना मुख्य बात है। नवजात बच्चों के प्रबंधन में दो बातें प्रमुख होती हैं पहला बच्चों का आहार और दूसरा उनके कपड़ों का प्रबंधन। अगर आप इन दोनों को ठीक से प्रबंधित कर लेते हैं, तो बड़ी आसानी से आप अपने समय को प्रबंधित कर लेंगे।
खानपान में अक्सर नवजात बच्चे अपने मां का दूध पीते हैं, तो ऐसे में बच्चों को दूध पिलाने का समय नियमित रखें। अगर आपका बच्चा कोई आहार लेता है, तो किचन में उसके लिए एक अलग जगह पर उसके डाइट को रखें। इसके साथ ही अपनी घड़ी में अलार्म लगा दें कि कितने समय के बीच में आपको उसको डाइट देनी है।
इसी प्रकार से अगर नवजात बच्चों के कपड़े की प्रबंधन की बात की जाए तो उसके लिए अलग से अलमारी या अलमारी में एक अलग से रैक रखें, जिससे उसके कपड़े आसानी से मिल सकें। बेशक आपका बच्चा नवजात बच्चा है, किंतु फिर भी बच्चे के लिए डायपर का इस्तेमाल बहुत ज्यादा ना करें तो बेहतर होगा। क्योंकि डायपर में ज्यादा देर तक रहने के कारण उनको रेसेज आ जाते हैं और इसमें बीमारियां बढ़ने का खतरा रहता है।
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https://play.google.com/store/apps/details?id=in.articlepediaजब बच्चा स्कूल जाता हो
अगर आपका बच्चा स्कूल जाने लगा है, इसमें भी आप को बच्चों के खान-पान उसके कपड़े के साथ-साथ उसकी स्टडी का भी ख्याल रखना पड़ता है। इसमें थोड़ा परिवर्तन आप अवश्य कर सकते हैं कि नवजात बच्चों को जहां आप खुद खिलाती थी, अब स्कूल जाने वाले बच्चों को इस बारे में आप थोड़ा जागरूक कर सकते हैं। आप अपने बच्चों को इसकी ट्रेनिंग दें कि बच्चा खुद से अपना खाना खाये। ध्यान रखिए कि बच्चों को कभी भी खाना देकर ना छोड़ें, बल्कि उसके पास 5 मिनट 10 मिनट बैठ जाएँ ।
इतने समय में कोई बहुत ज्यादा नुकसान नहीं हो जाएग। किंतु अगर आप उसे खाना देकर फोन में या दूसरी जगह पर खुद को व्यस्त कर लेती हैं, तो मुश्किल यह होगी कि वह खाने को फैला देगा और फिर आपका ही काम बढ़ जाएगा। हो सकता है कि वह ठीक से खाना भी नहीं खा पाए और इससे स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ेगा।
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इसी प्रकार कपड़ों के प्रबंधन में उसे एक अलग बैग दे सकते हैं, जिसमें वह अपने कपड़े सहेज कर रख सकता है, और धीरे-धीरे इस बारे में वह जागरूक हो सकता है। ध्यान दीजिए स्कूल जाने वाले बच्चों का हर काम खुद करने की बजाय उससे कराने की ट्रेनिंग दीजिए। इस पूरी प्रक्रिया में आपके बच्चों में अनुशासन डेवलप होगा।
बच्चों की स्टडी
इसके बाद बारी आती है स्टडी की ! स्टडी का एक ऐसा सब्जेक्ट है जो स्कूल के रूटीन पर डिपेंड करता है, किंतु अगर आपका बच्चा स्कूल जाने वाला है, तो रात को ही उसकी टिफिन में क्या लेकर जाना है या फिर उसके बैग में क्या-क्या चीजें रखनी हैं, इसकी तैयारी रात को ही कर लें।
अक्सर छोटे बच्चों का स्कूल सुबह के समय ही होता है, तो सुबह की आपाधापी -भागदौड़ से बचने के लिए शाम के समय ही सारी चीजें प्रबंधित कर लें तो ज्यादा बेहतर रहेगा। इसके बाद आप अपने बच्चे के पढ़ने का एक टाइम टेबल सेट करें और उसे उस समय पढ़ने के लिए बैठयें। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि आप अपने बच्चे की पढ़ाई में खुद को इन्वाल्व अवश्य करें।
अगर आपके पास समय नहीं है तो आधे घंटे ही सही, लेकिन अपने बच्चे को किसी स्कूल के सहारे, ट्यूशन के सहारे अकेले छोड़ देंगी तो आपके बच्चे का सही डेवलॅपमेंट नहीं होगा। इसके लिए अपने हस्बैंड को भी टाइम टेबल के अनुसार ट्रेनिंग दे सकती हैं कि बच्चे को वह समय दें। अगर आपके हस्बैंड दूर हैं तो ऑनलाइन उसको समय जरूर दें ताकि आधे घंटे के लिए वह उनके साथ ना केवल कनेक्टिविटी बनाए बल्कि स्टडी टेबल पर भी वह अपने आप को प्रगति कर सकता है।
बड़े बच्चों का प्रबंधन
बड़े बच्चों के साथ आपको बेहद सजगता के साथ रहना होता है, खासकर टीनएज बच्चों के साथ। क्योंकि यह वो उम्र होती है जब बच्चों का ध्यान दूसरी तमाम चीजों की तरफ होता है। इसलिए बच्चों को अनुशासन की धीरे-धीरे ट्रेनिंग दें, तो उन्हें प्रत्येक चीजों का अर्थ भी समझाएं।
उनसे बातें करें उनके मनोभावों को समझें और यह आपके कनेक्शन को ना केवल मजबूत करेगा, बल्कि उसे भी एक बेहतर इंसान के रूप में डेवलप होने में मदद करेगा। ऐसी अवस्था में संयुक्त परिवार के दूसरे सदस्यों से भी अपने बच्चे का इंटरेक्शन कराएं और उस पर लगातार नजर रखें। अच्छे साहित्य, अच्छे यूट्यूब चैनल और अच्छे कंटेंट की कीमत उसको समझाएं। यही वह चीज है जो आने वाले दिनों में उसकी बेहतरीन इंसान बनाने में सहायता करेगा।
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