- कोरोना की दूसरी लहर ने स्वास्थ्य सेवाओं की कलई खोल दी है, उसे लेकर भारत सरकार की आलोचना होने लगी थी
- भारत में टीका उत्पादन करने वाली दो कंपनियां अपनी पूरी क्षमता से उत्पादन कर रहे थे, लेकिन फिर भी मांग पूरा करने में असमर्थ साबित हुए
- रूसी वैक्सीन 'स्पूतनिक v' को भारत में सामान्य वैक्सीन के तौर पर इस्तेमाल होने की मंजूरी मिली
Published on 14 May 2021 (Last Update: 14 May 2021, 9:16 PM IST)
भारत में टीकाकरण को लेकर बड़ा अभियान छिड़ा हुआ है। जिस तरह से भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने स्वास्थ्य सेवाओं की कलई खोल दी है उसे लेकर भारत सरकार की आलोचना होने लगी थी। सरकार की आलोचना इस बात के लिए भी हो रही है कि उसने घरेलू जरूरतों को पूरा करने की बजाय विदेशों को वैक्सीन भेजने की पहल अनावश्यक रूप से की थी।
हालांकि कोरोना की मुशीबत में जब विदेशों से ढेर सारी मदद आने लगी तब, यह सार्थक कदम दिखा। आखिर मदद के बदले ही तो मदद मिलती है, किंतु फिर भी भारत में वैक्सीनेशन एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर कर सामने आया है।
जैसा कि सभी जानते हैं कि भारत में टीका उत्पादन करने वाली दो कंपनियां 'सिरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया और भारत बायोटेक' अपनी पूरी क्षमता से उत्पादन कर रहे थे, लेकिन फिर भी घरेलू मांग पूरा करने में असमर्थ साबित हुए। ऐसी स्थिति में रूसी वैक्सीन 'स्पूतनिक v' को भारत में इमरजेंसी यूज़ से आगे बढ़कर सामान्य वैक्सीन के तौर पर इस्तेमाल होने की प्रक्रिया एक बेहद सुखद कदम है।
खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि भारत में 'स्पूतनिक v'की कीमत ₹1000 के आसपास हो सकती है। यह जानकारी डॉ रेड्डी लेबोरेट्री द्वारा दी गई है। गौरतलब है कि पहले इस वैक्सीन को सिर्फ इमरजेंसी यूज़ के लिए मंजूरी मिली थी, किंतु अब सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेट्रीज यानि CDL द्वारा इसे आम नागरिकों के इस्तेमाल की भी मंजूरी मिल गई है। जाहिर तौर पर इससे वैक्सीनेशन का काम तेज ढंग से हो पायेगा।
जहां तक इस वैक्सीन की कीमत की बात है तो एक डोज की अधिकतम एमआरपी यानी खुदरा मूल्य ₹948 रखा गया है, जिस पर तकरीबन 5 फ़ीसदी का जीएसटी लगाकर ₹1000 के आसपास यह वैक्सीन आम नागरिकों को उपलब्ध हो सकेगी।
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आपको बता दें कि इस वक्त इसकी पहली डोज हैदराबाद में एक व्यक्ति को लगाई गई है। इसके बाद यह ओपन मार्केट में आ जाएगी। डॉ रेड्डीज लेबोरेटरीज द्वारा कहा गया है कि आने वाले दिनों में जब भारतीय पार्टनर द्वारा इसका निर्माण भारत में ही स्टार्ट होगा तब इसकी कीमत काफी कम हो जाएगी।
सबसे सुखद बात यह है कि भारत में भी वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से इसके उत्पादन को लेकर बातचीत की जा रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा टीके का उत्पादन हो और भारत अपने समस्त नागरिकों के वैक्सीनेशन के लक्ष्य को जल्दी पूरा कर सके।
जैसा कि सभी जानते हैं कि वैश्विक स्तर पर 3 देशों ने टीकाकरण अभियान तेजी से आगे बढ़ाया है और अब वहां जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है। वह चाहे अमेरिका हो चाहें यूके! उसके तेज वैक्सीनेशन प्रोग्राम ने अर्थव्यवस्था सहित लोगों की जीवन की गतिविधियों को भी ट्रैक पर ला खड़ा किया है।
भारत जैसे देश ने भी कोरोना की पहली लहर पर बखूबी काबू पा लिया था, मगर डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत के B.1.617 वैरिएंट वायरस का संक्रमण दूसरी लहर का जिम्मेदार है, उसकी वजह से भारतीय प्रशासन और हॉस्पिटल अर्थव्यवस्था चरमरा गई।
बहरहाल टीकाकरण अभियान तेज हो रहा है और इसका सबूत नीति आयोग के एक सदस्य के बयान से मिलता है। इसके अनुसार दिसंबर तक भारत में कोविड-19 की 200 करोड़ से अधिक टीके मिल सकते हैं, और यह अपने आप में बेहद खास बात है।
अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मास्क निकालकर मास्क की छुट्टी का ऐलान कर दिया है, और जाहिर तौर पर यह तेज वैक्सीनेशन का ही परिणाम है। उम्मीद करते हैं कि भारत में भी वैक्सीनेशन का टारगेट जल्दी पूरा हो और कोरोना के खौफ पर लगाम लगे।
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1 Comments
Good one...
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