Published on 27 Jun 2021 (Update: 27 Jun 2021, 8:25 PM IST)
मैं अकेला, मैं अकेला, मैं अकेला
चला हूँ जिस पथ पर मैं,
यहाँ कोई है ना दूजा,
मैं अकेला, मैं अकेला, मैं अकेला
जो चल रहे है साथ मेरे,
वो हवा पानी धूप है छाह,
मैं अकेला, मैं अकेला, मैं अकेला
पाप पुण्य की पोटली लेके
इस पथ पर निकला हूँ अकेला
मैं अकेला, मैं अकेला, मैं अकेला
इक्ष्वाकु वंश के वंशज से
मैं पूछने चला हूँ अकेला
मैं अकेला, मैं अकेला, मैं अकेला
तेरे बनाए हुए ये मानव
पुन्य भूले पाप सिर लिए दौड़े
मैं अकेला, मैं अकेला, मैं अकेला
यही पूछने चला हूँ अकेला
रघुवंशी बता दे, मानवता कहा है भटका
मैं अकेला मैं अकेला, मैं अकेला मैं अकेला
(युवा लेखक आदर्श पाण्डेय लेखन के साथ साथ अभिनय की दुनिया से जुड़े हुए हैं.)
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